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By Gurmail Singh

कैसा न्याय 11 साल की बच्ची के केस में इलाहाबाद हाई कोर्ट का फैसला, महिला के निजी अंग पकड़ना और नाड़ा तोड़ना दुष्कर्म की कोशिश नहीं

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक अजीबो-गरीब फैसले में कहा है कि किसी नाबालिग लड़की के निजी अंग पकड़ना, उसके पायजामे की डोरी तोड़ना और उसे घसीटने की कोशिश करना दुष्कर्म या दुष्कर्म के प्रयास का मामला नहीं बनता। कोर्ट ने इसे अपराध की ‘तैयारी’ और ‘वास्तविक प्रयास’ के बीच का अंतर बताया और निचली कोर्ट द्वारा तय गंभीर आरोप में संशोधन का आदेश दिया।

जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्र ने आदेश में कहा, ‘दुष्कर्म के प्रयास का आरोप लगाने के लिए साबित करना होगा कि मामला तैयारी से आगे बढ़ चुका था। तैयारी और वास्तविक प्रयास के बीच अंतर है। अभियुक्त पर आरोप है कि उसने पीड़िता को पुलिया के नीचे खींचने की कोशिश की और उसका नाड़ा तोड़ दिया। पर गवाहों ने यह नहीं कहा कि इससे पीड़िता के कपड़े उतर गए। न यह आरोप है अभियुक्त ने ‘पेनेट्रेटिव सेक्स’ की कोशिश की। ‘आरोपी पवन और आकाश को कासगंज कोर्ट ने आईपीसी की धारा 376 (दुष्कर्म) और पॉक्सो एक्ट की धारा 18 के तहत मुकदमे के लिए तलब किया था। पीड़िता के परिजनों ने शिकायत की थी कि दोनों ने 2021 में लिफ्ट के बहाने नाबालिग से दुष्कर्म की कोशिश की। हालाकि राहगीरों के आने पर भाग गए। आरोपियों ने समन को कोर्ट में चुनौती दी थी। हाई कोर्ट ने आईपीसी की धारा 354 बी (निर्वस्त्र करने के इरादे से हमला) और पॉक्सो एक्ट की धारा 9 व 10 (गंभीर यौन उत्पीड़न) के तहत मुकदमा चलाने का आदेश दिया।

सुप्रीम कोर्ट कह चुका है… ‘यौन इरादे से बच्चे के के अंगों को छूना भी पॉक्सो के तहत ‘यौन हमला’

19 नवंबर 2021: सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच का एक फैसला पलटते हुए कहा था, किसी बच्चे के यौन अंगों को छूना या ‘यौन इरादे’ से शारीरिक संपर्क से जुड़ा कोई भी कृत्य पॉक्सो एक्ट की धारा 7 के तहत ‘यौन हमला’ माना जाएगा। इसमें सबसे महत्वपूर्ण इरादा है, न कि त्वचा से त्वचा का संपर्क।

बॉम्बे हाई कोर्ट की एडिशनल जज पुष्पा गनेडीवाला ने जनवरी 2021 में यौन उत्पीड़न के एक आरोपी को यह कहते हुए बरी कर दिया था कि किसी नाबालिग पीड़िता के निजी अंगों को ‘स्किन टू स्किन’ संपर्क के बिना टटोलना पॉक्सो में अपराध नहीं माना जा सकता है। हालांकि इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने पलट दिया।

कौन हैं जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्र?

जस्टिस राम मनोहर मिश्र का जन्म 6 नवंबर 1964 को हुआ था. उन्होंने 1985 में लॉ में ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की. फिर साल1987 में लॉ में ही पोस्ट ग्रेजुएशन किया. साल 1990 में मुंसिफ के रूप में उत्तर प्रदेश न्यायिक सेवा में शामिल हुए. साल 2005 में उच्चतर न्यायिक सेवा में इनका प्रमोशन हुआ. साल 2019 में जिला एवं सत्र न्यायाधीश के रूप में नियुक्त हुए. यहां पर प्रमोशन से पहले इन्होंने बागपत, अलीगढ़ जिलों में सर्विस की. साथ ही इन्होंने जेटीआरआई के निदेशक और लखनऊ में जिला एवं सत्र न्यायाधीश के रूप में भी कार्य किया.

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